उखीमठ- शिक्षा मत्री जी ये आपकी कैसी है नीति! जरूरत की जगह छोड़ शिक्षकों के जमघट लगाने की रीति।






          हरिश चन्द्र/उखीमठ।

जहाॅ नाक है वहाॅ सोना नही जहाॅ सोना है वहाॅ नाक नही ये कहावत सरकारी स्कूलों पर सटिक बैठती है, शिक्षा विभाग के पास पहाड़ की नीति जिसको समझ आ जाये उससे बड़ा कोई विद्वान नही, जहाॅ पढ़ने के लिए बच्चे हैं वहा शिक्षक नही होते, जहाॅ शिक्षक भेजते है वहाॅ पढ़ने वाले बच्चे ही नही मिलते, ऐसे में शिक्षा मंत्री जी से लोग पुछ रहे हैं कि मत्री जी ये आपकी कैसी नीति है।

ऊखीमठ विकासखण्ड़ कें राजकीय प्राथमिक विघालय पैंज में भी अध्यापको की कमी से 31 छात्र छात्राओं का भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है, विघालय में 1 से 5 तक कि कक्षाएं संचालित होती हैं ऐसे में विघालय में कक्षा 1 में 7, कक्षा 2 में 9, कक्षा 3 में 8, कक्षा 4 में 4 व कक्षा 5 में 3 छात्र छात्राये है कुल मिलाकर 15 छात्र व 16 छात्राऐं है लेकिन इन सभी छात्र-छात्राओं का भविष्य विघालय में तैनात एकमात्र सहायक रामसिंह रावत पर टिका रहता है जिनकें कन्धों पर शिक्षक के साथ ही विघालय की डाक से लेकर अन्य सरकारी कार्य भी होते हैं, ऐसे में सरकारी कार्यो से बाहर जाने पर विघालय में बच्चों को कौन पढ़ाये ये भी बड़ी समस्या रहती है, विघालय में प्रधानाचार्य का पद रिक्त है, सहायक अध्यापक रामसिंह रावत का कहना है कि विघालय में शिक्षकों की कमी को छोड़ हर प्रकार की सुविधा है लेकिन कोई भी शिक्षक आज पहाड़ दूर-दराज के क्षेत्र में आना ही नही चाहता, विघालय में छात्र संख्या तो बढ़ रही है लेकिन शिक्षक न होने से बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ना स्वभाविक है। 

वही दूसरी ओर इसका ठीक उलटा है इसी क्षेत्र में राजकीय जूनियर विघालय पैंज में भी 6 से 8 तक कि कक्षाएँ चलती है जिसमें विद्यार्थीयों की सख्या बहुत कम है कुल मिलाकर विघालय में तीनो कक्षाओं में 13 छात्र-छात्राये है जिनकों बढ़ाने के लिए विघालय में प्रधानाचार्य समेत तीन अध्यापक है प्रधानाचार्य के पद पर रघुवीर सिंह पवार, व सहायक अध्यापक भूपेंद्र राणा व चित्ररेखा राणा सहायक अध्यापक के पद पर तैनात है राजकीय जूनियर विघालय पैंज में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात शिक्षक भूपेंद्र राणा का कहना है कि उनके विघालय में शिक्षकों समेत सभी संसाधन तो मौजूद हैं लेकिन पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में बढ़ोत्तरी नही हो पा रही है, प्रतिस्पर्दा के जमाने में अभिभावक प्राईवेट स्कूलों में अपने बच्चों को बढ़ाना ज्यादा बेहतर मानते है, लेकिन वो लगातार छात्र संख्या बढाने और सरकारी स्कूलों के प्रति अभिभावकों में विश्वास पैदा करने के लिए प्रयास कर रहे हैं।




खबर पर प्रतिक्रिया दें 👇