समाजसेवी डा0 कैलाश पुष्पाण ने पेश की नजीर, पहाड़ की संस्कृति के प्रचार-प्रचार के साथ ही लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने की पहल।


हरीश चन्द्र/उखीमठ।

सरकार भले ही अब पहाड़ की संस्कृति का महत्व समझ रही हो लेकिन उखीमठ के डॉ कैलाश पुष्पाण पहाड़ की संस्कृति के महत्व को समझते हुए 12 वर्ष पहले वर्ष 2007 से होम स्टे की अपने गांव से शुरूआत कर चुके है, आज डॉ कैलाश पुष्पाण कई लोगों को अपने साथ रोजगार दे रहे है, ऐसे में कैलाश ने सरकार और लोगों के सामने नजीर ही नही पेश की बल्कि पहाड़ की संस्कृति को जीने की इच्छा रखने वाले पर्यटकों के लिए एक स्वर्ण अवसर दिया है। 


रूद्रप्रयाग के ऊखीमठ क्षेत्र के ग्रामसभा किमाणा में डा0 कैलाश पुष्पाण ने वर्ष 2007 में हिमायलन माउटेण्ड होम स्टेट की स्थापना की थी, जिसमें उन्होने अपने पैतृक घर जो कि रखरखाव के अभाव में जर्जर होता जा रहा था उस पैतृक घर को होम स्टे के लिए तैयार किया, तब तक सरकार द्वारा भी होम स्टे योजना लागू नही की गयी थी, ऐसे में अपने खुद के संसाधनों से डा0 कैलाश ने अपनी सोच को धरातल पर उतारा, आज डा0 कैलाश के होम स्टेट में देश विदेशो के यात्री आते है जिन्हें हर प्रकार की पहाड़ी व्यजन बनाकर उनको पहाड़ की खुशबू से रूबरू करवाया जाता है। 

देशी-विदेशी ही नही बल्कि डा0 कैलाश केे होम स्टेट में जिले के डीएम से लेकर कई बड़े अधिकारी आ चुके हैं, होम स्टे के साथ ही डा0 कैलाश अपनी सस्था के माध्यम से ग्रामीणो को कृषि के बारे में भी सिखाते है और जो भी पर्यटक होम स्टे में आता है उसे पूरा गांव का भ्रमण करवाकर पहाड़ जीवनशैली से रूबरू करवाते हैं, डा0 कैलाश ने अपने गांव के बच्चों के लिए पुस्तकालय और कम्प्यूटर सेन्टर भी खोला है जसमे गांव के बच्चे किताबी और तकनिकी दोनों तरह का ज्ञान लेकर दुनिया से कदमताल के लिए तैयार होते हैं। डा0 कैलाश पुष्पाण कहते हैं कि 


फोटो- डॉ कैलाश पुष्पाण 

हमारा हमेशा ये उदेश्य रहता है कि जो भी गेस्ट बाहर से मेरेे गांव में पहुचे उनको पहाड़ी व्यजनों और पहाड़ के संस्कृति का आनन्द लेने के साथ ही गांव के बच्चो के साथ कुछ वक्त बिताकर उन्हे भी कुछ न कुछ सिखाये, हम अपनी सस्था के माध्यम से भी गांव में काम कर रहे हैं हम संस्था के माध्यम से फार्म को भी बढ़ावा देते है और इसके अलावा हमने गांव में नर्सिरी भी खोली है, जिंसमे सभी गांव के लोगो को बहुत कुछ सीखने को मिलता है यही नही उनकी संस्था प्रत्येक गांव में महिलाओं के लिये सिलाई बुनाई प्रशिक्षण सेंटर भी खोला है और उसमें भी कई गांव की महिलाऐं काम करती है और स्वरोजगार से जुड अपने पैरों पर खड़ी हो चुकी है, आगे भी पहाड़ और समाज के लिए हमारा ये प्रयास जारी रहेगा।

खबर पर प्रतिक्रिया दें 👇