ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाईन- उम्मीदों की रेल
सुरंगों के सहारे।
कर्णप्रयाग रेल लाईन आजादी से पहले पहाड़ की जनता का सपना है जो आजादी के 70 साल बाद भी पूरा नही हो पाया लेकिन अगर सब कुछ ठीक रहा तो इसी वर्ष नंवबर-दिसंबर में काम शुरू होने की उम्मीद है भारतीय रेलवे की बहुप्रतीक्षित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना अपने आप में कई मायनों में अनूठी है
वर्ष 1924 में अंग्रेजों ने कर्णप्रयाग तक रेल पहुचाने का सपना देखा था जो 9 दशकों बाद भी पूरा नही हो सका है लेकिन अब सबकुछ ठीक रहा तो एशिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क भारतीय रेलवे के खाते में 125 किमी0 वाली ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के साथ ही एक उपलब्धि और जुड़ जाएगी, प्रस्तावित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर देश में अब तक की सबसे लंबी सुरंग बनने जा रही है। जिसकी लंबाई 15 किलोमीटर होगी। अभी तक भारतीय रेलवे जम्मू-कश्मीर में ही सबसे लंबी रेल सुरंग बना पाया है, जो सवा ग्यारह किलोमीटर लंबी है, 125 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन पर कुल 16 सुरंगें और 16 पुल बनने हैं, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन की बात करें तो यहां प्रस्तावित 16 सुरंगों में से पांच सुरंग नौ किलोमीटर से भी लंबी हैं। इसके अलावा छह सुरंगें छह से नौ किलोमीटर तक लंबाई की हैं, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर इसी वर्ष नंवबर-दिसंबर में काम शुरू होने की उम्मीद है।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन की एक और खासियत यह है कि इस पर रेल सिर्फ 20 किलोमीटर का सफर ही खुले आसमान के नीचे तय करेगी, बाकी रेल लाइन का 105 किलोमीटर हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा, रेल विकास निगम लिमिटेड द्वारा 16784.58 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाली इस रेल लाइन पर 12 रेलवे स्टेशन होंगे न्यू ऋषिकेश, शिवपुरी, ब्यासी, देवप्रयाग, आक्जीलरी, मलेथा, श्रीनगर, धारी, रूद्रप्रयाग, गौचर और कर्णप्रयाग, रेलवे लाई के पहले रेलवे स्टेशन न्यू ऋषिकेश के लिए बकायदा वन भूमि हस्तातरित हो चुकी है और प्रस्तावित भूमि पर अब तक कार्यालय वन रेंज ऋषिकेश की बिल्डिग के लिए पैसा भी रिलीज हो चुका है, जिसके बनते ही काम शुरू हो जाऐगा वही वन विभाग से स्टेज 1 की पूरी सहमति के बाद रेल विकास निगम के अधिकारियों को को उम्मीद है कि इसी वर्ष चन्द्रभागा ब्रीज का काम भी साल के अन्त तक शुरू हो जाएगा।
सब कुछ अगर योजनाबद्ध ढंग से हुआ तो पर्यटन प्रदेश उत्तराखण्ड में प्रस्तावित ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाईन की अनोखी सुंरगें भविष्य में उत्तराखण्ड पर्यटन को और बढ़ावा देगी, जो कि चारधाम यात्रा के आफ सिजन में प्रदेश की आर्थिकी के लिए वरदान साबित हो सकती है, देखना अब यह है कि आखिर कब 9 दशकों का इंतजार खत्म होता है और ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाईन सर्वे से आगे बढ़ धरातल पर पहुचती है।
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