सलाम किजिए ऐसे शिक्षक को! जिनके गांव से निकलते ही फफक-फफक कर रो पड़े केलसू पट्टी के लोग..

सलाम किजिए ऐसे शिक्षक को! जिनके गांव से निकलते ही फफक-फफक कर रो पड़े केलसू पट्टी के लोग.. 
सलाम किजिए ऐसे शिक्षक को

हरीश थपलियाल

देश में ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक शिक्षा की बदहाली किसी से छुपी नहीं है। आए दिन शिक्षा और शिक्षक पर सवाल उठते रहते हैं। ऐसे में इस हालात में भी उम्मीद की किरण जगाने वाले कुछ शिक्षक हैं, जिन पर गर्व किया जा सकता है। ऐसी ही कुछ कहानी है उत्तरकाशी जीआईसी भंकोली में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात रहे शिक्षक आशीष डंगवाल की, जिनका चयन  प्रवक्ता पद के लिए हुआ और नई तैनाती  टिहरी जिले के गढ़खेत इंटरमीडिएट कॉलेज में मिली। तो स्कूल के बच्चे और केलसू गांव के ग्रामीण फूट-फूटकर  रोने लगे।।

आशीष रुद्रप्रयाग जिले के रहने वाले हैं और उन्होंने वर्ष 2016 में बतौर सहायक अध्यापक उत्तरकाशी जिले में तैनाती ली। जब वो यहां आए उस दौरान उन्होंने यहां शिक्षा के प्रति जागरूकता के लिए ग्रामीणों से चर्चा करनी शुरू की।। और वे भंकोली गांव में ही रहने लगे। यहाँ आशीष डंगवाल ने घर-घर जाकर लोगों को शिक्षा के प्रति सजग किया। डंगवाल ने जी-जान लगाकर बच्चों को पढ़ाया।  जरूरत पड़ने पर खुद ही उन्हें स्कूली सामग्री खरीद कर भी दी। इतना ही नही इस अध्यापक ने  बोर्ड परीक्षा में असफल रही छात्रा रेखा ने फेल होने के बाद मन बना लिया था कि अब पढ़ाई नही करूंगी। लेकिन शिक्षक आशीष डंगवाल ने छात्रा कु.रेखा का बोर्ड परीक्षा फॉर्म भरकर एक मिसाल कायम की है। जिसकी सराहना समूचे केलसू पट्टी के ग्रामीणों ने की और कहा शायद ही इस स्कूल को उनके जैसा शिक्षक मिले।
जीआईसी भंकोली
जीआईसी भंकोली के प्रधानाचार्य कामदेव पंवार ने बताया कि शिक्षक का सम्मान कहीं भी हो यह प्रत्येक शिक्षक के लिए गौरव की बात है। प्रधानाचार्य ने मुस्कराते हुए ये भी कहा कि  विद्यालय परिवार की और से उन्हें विदाई दी गई, लेकिन हमारे साथ साझा तस्वीरें सोशियल मीडिया पर नही दिखी। वहीं शिक्षक डॉ सम्भू प्रसाद नौटियाल ने कहा कि आज की पीढ़ी टेक्नोलॉजी में ष्रिचष् है।। पुराने समय मे लोग घंटो को पकड़ते थे लेकिन मौजूदा पीढ़ी सेकेंड को पकड़ रही है। सेकंड में फेसबुक पर शिक्षकों के सम्मान के लिए यूजर्स अलग-अलग सुझाव दे रहे हैं। 

भंकोली गांव निवासी दिनेश रावत बताते हैं कि मैं लंबे समय से विद्यालय के निकट कैंटीन चलता हूँ। शिक्षक आशीष डंगवाल खानदानी इंसान है। उनका व्यवहार, गांव के लिए सहयोग जीवन पर्यंत याद रहेगा।
प्रमोशन पर रोया पूरा गांव
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हाल ही  में आशीष डंगवाल का आयोग की परीक्षा में प्रवक्ता पद पर चयन हुआ। जिसके लिए उन्हें नई तैनाती के लिए जाना था।  उधर जब वो भंकोली विदाई लेने के लिए पहुंचे तो मानो पूरा गांव गमगीन हो गया। बच्चों को फूट-फूटकर रोता देख आशीष की आंखों से आंसुओं की धारा बह निकली. क्या बच्चे, क्या महिलाएं, गांव का हर शख्स यही कहता नजर आया श्मास्टरजी हमें रोता छोड़कर मत जाओ श...

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