विधानसभा सत्र - पंचायत चुनाव में दो बच्चे वालों के लड़ने पर फैसला होगा कल !

पंचायत चुनाव
पुष्पराज बहुगुणा/ देहरादून। प्रदेश में विधानसभा सत्र चल रहा है और सभी की निगाहें आगामी पंचायत चुनाव में दो बच्चों वाले उम्मीदवारों को लेकर होने वाले फैसले पर टिकी हुई है जिसपर कल चर्चा होगी, उसी के बाद पूरी बातें स्पष्ट हो पायेंगी, और उसी के बाद इस पर पूरी मुहर लगेगी। वैसे पंचायत चुनाव में इस बार दो बच्चों और शिक्षा को लेकर उम्मीद ये है कि सरकार बड़े बदलाव करने वाली है। 


क्या हो सकता है आगामी पंचायत चुनाव में निर्णय। 
प्रदेश में विधानसभा सत्र चल रहा है और सभी की निगाहें आगामी पंचायत चुनाव में दो बच्चों वाले उम्मीदवारों को लेकर होने वाले फैसले पर टिकी हुई है, ऐसे में ये समझना जरूरी है कि सरकार ने अबतक इसके लिए क्या तैयारी की है आपको बतादें कि कल विधानसभा सत्र में दो बच्चों से ज्यादा बच्चों वाले जनप्रतिनिधियों को लेकर चर्चा हो सकती है जिसमें पंचायत चुनाव में चुनाव  लड़ने की सोच रहे कई जनप्रतिधियों के अरमानो पर पानी फिर सकता है, नगर निकाय में पहले से ही दो बच्चों का नियम लागू है सूत्रों की जानकारी के मुताबिक शासन स्तर पर इस विषय पर गहन मंथन हो चुका है, ये खबर उन प्रतिनिधियो के लिए एक बुरी खबर है जिनके 2 से ज्यादा बच्चे हैं और वो बीते कई समय से इस बार भी चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे है। हाॅ हरिद्वार के जनप्रतिनिधियों के लिए ये राहत भरी खबर जरूर है कि इस नियम से फिलहाल हरिद्वार को अलग रखा जायेगा। 


वही दूसरी ओर पंचायत प्रतिनिधियों की शैक्षिक योग्यता को लेकर भी नियम आ सकता है, न्यूनतम शैक्षिक योग्यता को लेकर ये अनुमान लगाया जा रहा है कि हरियाणा के तर्ज पर न्यूनतम शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल, अनुसूचित जाति के लिए आठवीं और आरक्षित वर्ग की महिला के लिए पांचवीं पास होना अनिवार्य है। दोनों फैसलों को लेकर अभी पूरी कसरत हो चुकी है, कल इस पर विधानसभा सत्र में चर्चा होनी है। और उसी के बाद इस पर पूरी मुहर लगेगी। 
विधानसभा सत्र के दूसरे दिन बीजेपी विधायकों के सवालों के ही संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए मंत्री जी
आज विधानसभा के अंदर भाजपा के विधायकों ने अपने ही मंत्रियों को सवालों के जरिए घेरा तो विभागीय मंत्री अपने जवाबों से विधायकों को संतुष्ट करने में पूरी तरीके से नाकाम दिखाई दिए. स्थिति यह रही कि कई बार संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक को खड़े होकर मोर्चा संभालना पड़ा. विधायकों ने अपने अनुपूरक प्रश्नों के जरिए मंत्रियों के सामने असमंजस की स्थिति पैदा कर दी. कई विधायकों ने यह भी कहा कि कुछ सवालों के जवाब सदन में गलत दिए जा रहे हैं।

सल्ट के बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह जीना ने ऐसी सड़कों को मंजूरी मिलने का मुद्दा उठाया जिन्हें परिवहन विभाग से मंजूरी नहीं मिली है।  उन्होंने कहा कि पहाड़ों में ऐसी बहुत सी सड़कें हैं जो बन तो चुकी हैं लेकिन परिवहन विभाग ने उन्हें मंजूरी नहीं दी है. ऐसी सड़कों में वाहन दुर्घटना होने पर बीमा कंपनी मुआवजा देने से इनकार कर देती है। जीना की बात का जवाब देते हुए परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने बताया कि कुल 1089 में से 790 सड़कों का सर्वे हुआ है। 61 सड़कों का सर्वे अभी बाकी है। सल्ट विधायक ने आग्रह किया कि सड़क के बनते ही उसका संयुक्त सर्वे करवाकर उसे मंजूरी प्रदान करने की परंपरा डाली जाए क्योंकि पहाड़ों में सड़क दुर्घटना की दर बहुत अधिक है। 

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