देखिए विडियो: भूकंप वेधशाला को सिचांई विभाग ने बना दिया गौशाला!

मवेशियों और जंगली जानवरों का आरामगाह बना भूकंप  वेधशाला परिसर

वाचस्पति रयाल / नरेंद्र नगर। आपदा ओर भूकंप की दृष्टि से संवेदशील उत्तराखण्ड़ राज्य के नरेन्द्रनगर में सिचाई विभाग भूकंप वेधशाला को गौशाला बना कर रख दिया है, नरेन्द्रनगर में नगर में दशकों पूर्व निर्मित भूकंप वेधशाला का भारी-भरकम दफ्तर आज जंगली जानवरों और मवेशियों का अड्डा बना हुआ है, भूकंप वेधशाला परिसर में उगी सघन झाड़ियां इस कदर बढ़ी और फैली हुई हैं कि मवेशियों और जंगली जानवरों के अलावा कोई भी व्यक्ति आसानी से यहां दाखिल नहीं हो सकता।   ऐसा भी नहीं है कि भूकंप वेघशाला कार्यालय दो-चार कमरों वाला हो, बाकायदा एक दर्जन कमरों वाला भारी-भरकम कार्यालय है भूकंप वेधशाला का। 


दरअसल में वर्ष 1970-71 से पूर्व निर्मित 1 दर्जन से अधिक कमरों वाला भूकंप  वेधशाला कार्यालय की दुर्गति तो तब हुई जब उत्तराखंड बनने के बाद इस कार्यालय को 2008-09 में यहां से रुड़की स्थानांतरित कर दिया गया और इसके रख-रखाव का जिम्मा यहां स्थित सिंचाई विभाग को सौंपा गया। मगर परिसर में उगी हुई सघन भारी-भरकम झाड़ियां और कमरों के अंदर मवेशियों और जानवरों के गोबर का ढेर तथा कमरों की क्षतिग्रस्त दरवाजे व खिड़कियां इस बात की गवाह हैं कि साफ-सफाई और रख-रखाव की बात तो रही दूर सिंचाई विभाग ने शायद यहां आकर झांकने की जहमत तक नहीं उठाई। देखिए नरेन्द्र नगर से वाचस्पति रयाल की पूरी विडियो खबर- 
देखिए विडियो - लावारिश भूकंप वेधशाला की हकीकत। 
भूकंप वेधशाला  भवन के चारों ओर जंगली जानवरों और पशुओं की मल-मूत्र की बदबू से परिसर के आस-पास का वातावरण भी प्रदूषित होता जा रहा है।यहां लोगों के गले यह बात नहीं उतर पा रही है कि जहाँ उत्तराखंड बनने के बाद प्रदेश वासी अपने दिलो-दिमाग में विकास का सपना संजोए हुए थे,वहीं इस उजड़ते और वीरान होते शहर की रौनक बढ़ाने के बजाए यहां रहे-सहे इक्के-दुक्के कार्यालयों को भी अन्यत्र शिफ्ट करने की कार्रवाई बेहद निराशाजनक और उत्तराखंड बनाने की अवधारणा के जबरदस्त खिलाफ है। आरटीआई सदस्य सुंदर सिंह रावत का घर ठीक खंडहर में तब्दील हो रही इस भूकंप वेदशाला के समीप है।
झाड़ियों के बीच रह-रहे मवेशियों और जंगली जानवरों की चिंघाड़ती बेसुरे  आवाजों से परेशान आरटीआई सदस्य सुंदर सिंह रावत ने भूकंप वेधशाला परिसर की साफ- सफाई दरवाजों की मरमत सरकारी संपत्ति का रख-रखाव, झाड़ी कटान सहित कई बिंदुओं की जानकारी सूचना अधिकार के माध्यम से 2016 में मांगी थी ,मगर न तो भूकंप वेधशाला के मरम्मत का कार्य भी प्रारंभ हो पाया और ना ही सूचना अधिकार के तहत सुंदर सिंह रावत को उक्त संबंध में कोई सूचना ही मिल पाई है। सूचना देने में निरंतर टालमटोल की जाती रही है।
इस भूकंप वेधशाला के रख-रखाव का जिम्मा थामे सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता कमल सिंह का कहना है कि  साफ-सफाई और मरम्मत के लिए  लिखा पढ़ी के बाद भी शासन से अभी तक धनराशि उपलब्ध नहीं हुई है धनराशि उपलब्ध होने पर ही मरम्मत और साफ सफाई का कार्य करवाया जाएगा। पालिका के नवनिर्वाचित अध्यक्ष ठाकुर विक्रम सिंह पंवार ने इस संबंध में कहा कि सिंचाई विभाग को साफ- सफाई और मरम्मत के लिए निर्देशित किया जाएगा, यदि  सिंचाई विभाग असमर्थ होगा तो वे स्वयं पालिका की ओर से इसके रख-रखाव और मरम्मत का कार्य करवाएंगे और शासन से भवन के उपयोग की अनुमति लेंगे। गौरतलब और हैरत की बात यह है कि इस भूकंप वेधशाला भवन में जंगली जानवर और मवेशी तो रह सकते हैं लेकिन मनुष्यों को रहने की अनुमति इसमें नहीं दी गई। उल्लेखनीय है कि नरेंद्र नगर शहर से लगता हुआ डौंर गांव में 11 सितंबर 2011 को पहाड़ी दरकने से भारी मलबा आया और कई लोग बेघर हो गए, 6 लोग जिंदा मलबे में दफन हो गए ,कई मवेशी मलबे की भेंट चढ़ गये। 

उस दौरान आपदा झेल रहे डौंर गांव के लोगों  टाउन हॉल, पुलिस लाइन जैसे स्थानों पर रात गुजारने को मजबूर  होना पड़ा। कई लोग महीनों तक अपने रिश्तेदारों और सगे संबंधियों के यहां रहने को मजबूर हुए, ऐसी विकट आपदा वाली परिस्थितियों में भूकंप वेधशाला भवन मवेशियों और जंगली जानवरों के हवाले नहीं बल्कि लिखित तहरीर पर आपदा झेल रहे लोगों को  कुछ समय के लिए सर ढकाने को  दिया जा सकता था।

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