परशुराम जयन्ती के पुण्य पर्व पर परशुराम मंदिर के दर्शन कीजिए।

पशुराम मंदिर हिमाचल
परशुराम जयन्ती के पुण्य पर्व पर परशुराम मंदिर के दर्शन कीजिए।
सचितानंद सेमवाल
हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर की दुगाना पंचायत में बना यह भगवान परशुराम का मंदिर है। यह मंदिर करीब सात साल में बनकर तेयार हुआ है, जिस पर करीब दो करोड़ खर्च किया गया है। परशुराम जी का यह जिले का सबसे ऊंचा मंदिर है। भगवान परशुराम को विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। ऋषि जमदग्नि द्वारा संपन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न भगवान इन्द्र के आशीर्वाद से वैशाख अक्षय तृतीया के दिन परशुराम ने ऋषि जमदग्नि के घर जन्म लिया था। ऋषि जमदग्नि के चार पुत्र थे। भगवान परशुराम सबसे बलशाली थे। उन्होने भगवान शंकर से शस्त्र विद्या का ज्ञान लिया था। वह शस्त्र विद्या में महारथी थे। उन्होंने कर्ण, द्रोणाचार्य ओर भीष्म पितामह को शस्त्र ज्ञान दिया था। 
एक बार सहस्र बाहु नाम के राजा ने जमदग्नि के आश्रम से बल पूर्वक कामधेनु गाय को छीन लिया, जिससे क्रोधित परशुराम ने सहस्र बाहु का वध कर दिया था। पिता की हत्या से कुंठित सहस्र बाहु के पुत्रों ने ऋषि जमदग्नि की हत्या कर दी थी, जिनकी चिता में माता रेणुका सती हो गई थी। इससे क्षुब्ध भगवान परशुराम ने 21 बार इस धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया था। परशुराम ने सहस्र बाहु के पुत्रों के खून से अपने पिता का श्राद्व संपन्न करवाया था। बाद में उन्होने इस धरती को कश्यप ऋषि को दान कर खुद तपस्या करने महेन्द्र गिरि पर्वत पर चले गए थे। परशुराम आज भी इसी धरती पर रहते हैं। माना जाता है कि कलयुग में वह भगवान कल्कि को शस्त्र विद्या देंगे।
-आरा भाई का आभार

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