चित्रकारी से उखीमठ में दिया जा रहा संस्कृति के संरक्षण और स्वच्छ भारत को सन्देश।

हरीश चंद्र/उखीमठ। 

ऊखीमठ का नाम वाणासुर की पुत्री ऊषा के नाम पर पहले ऊषामठ पड़ा जो बाद में समय के साथ ऊखीमठ हो गया, चित्रलेखा ऊषा की प्रिय सहेली थी, जो कि चित्रकला में निपूंर्ण थी, इतिहास में विवरण के अनुसार एक दिन स्वप्न में ऊषा को श्री कृष्ण के नाती(पौत्र) अनिरूद्ध का स्वप्न में आना हुआ, तो ऊषा अनिरूद्ध पर इतनी मोहित हो गयी कि उसने स्वप्न में ही उसे अपना पति मान लिया, जिसके बाद ऊषा ने इसका जिक्र अपनी सहेली चित्रलेखा से किया, फिर क्या था चित्रलेखा ने तुरन्त ही आनिरूद्ध का चित्र बना दिया जो हूबहू ऊषा के स्वप्न में आये राजकुमार अनिरूद्ध जैसे ही था।

माना जाता है कि ऊखीमठ की धरती पर आज भी कला एवं संस्कृति के उच्चकोटि के प्रतिभा सम्पन्न विद्वान पैदा होते हैं उखीमठ में घर घर में कला एवं संस्कृति का प्रभाव देखने को मिलता है, इसी कला एवं संस्कृति को बचाने के लिए ऊखीमठ के कला एवं संस्कृति के प्रेमी युवकों ने एक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन बनाया जिसका उद्देश्य लोक संस्कृति की विरासत को बचाना ही नहीं बल्कि इसका प्रचार एवं प्रसार करना भी है। ऐसे में समय समय पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसके माध्यम से इन युवाकों ने ग्रेफिटी आर्ट के माध्यम से ऊखीमठ नगर को सुन्दर लोकसंस्कृति के चित्रों के माध्यम से सुसज्जित किया जाता है, और अब तो स्वच्छ भारत आभियान का असर भी इन चित्रकला पर दिखना शुरू हो गया है, कलाकार अब अपनी चित्रकला से लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक कर रहे हैं। 


इस आभियान में क्षेत्र के प्रसिद्ध चित्रकार दीपक नेगी, प्रसिद्ध फोटोग्राफर एवं सिनेमेटोग्राफर बबलू जंगली, प्रसिद्ध तबला वादक नवीन शैव, संगीतज्ञ रजनीकान्त मैठाणी, नवीन मैठाणी, कविता भट्ट, ऊषा भट्ट ,समाज सेवी एवं USHHA के अध्यक्ष विजेन्द्र सिंह नेगी, राष्ट्रपति पुरूस्कार प्राप्त नई पीढ़ी की चित्रकार कु० अंजलि, क्षेत्र के ऊर्जावान समाज सेवी शंकर स्वामी, दलवीर रावत,पवन राणा, दलबीर नेगी डाॅ० कैलाश पुष्पवान तथा नगर अध्यक्ष श्री विजय राणा अपना सक्रिय योगदान दें रहे हैं, USHHA  ग्रुप इसके साथ साथ गरीब बच्चों की शिक्षा, दिब्यांगों के लिये कार्यशाला इत्यादि समाजिक कार्यों के लिए संकल्पित है।

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