रायवाला: गांव के शिक्षित बेरोजगारों ने किया दुकानों के लिए आवेदन, पूरी खबर जानें!

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Photo- रायवाला: गांव के शिक्षित बेरोजगारों ने किया दुकानों के लिए आवेदन

 (महेश पंवार/रायवाला)
प्रतीतनगर में गांव के शिक्षित बेरोजगारों के लिए बनायी जा रही दुकानों के पहले दिन गांव के 30 शिक्षित युवाओं ने आवेदन किया है। उनका कहना था कि वह ग्राम पंचायत द्वारा जारी की गयी सभी शर्तों का पालन करते हुए दुकानें लेने के लिए आवेदन कर रहे है। 

ग्राम पंचायत प्रतीतनगर में शिक्षित बेरोजगारों के नाम पर बनायी जा रही दुकानों के मामले में अब क्षेत्र के शिक्षित बेरोजगारों ने भी दावेदारी कर दी है। विकास डंगवाल, आशुतोष, गुलशन कुमार, रविंद्र कुकरेती, अभिनव बडोला, रजनीश तिवाड़ी, नीरज धनगर, अर्जुन कुमार, प्रियंका, नीरज मोघा, सूरज कुमार, दिनेश कुमार, राजेश शर्मा, सागर सिंह, कंचन डबराल, अमित ंिसह, मनीष मल्ल सहित करीब 30 बेरोजगारों युवाओं ने जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी को आवेदन सौंपा है। सौंपे गए ज्ञापन में उन्होने कहा कि वह पंचायत द्वारा रखी गयी सभी शर्तों का पालन कर दुकान आवंटन में बोली लगाने को तैयार है। उनका कहना है कि जब पंचायत ने गांव के शिक्षित बेरोजगारों के नाम पर दुकानों का निर्माण कराना तय किया है तो नियमानुसार वह भी दुकान के हकदार है। 

आपको बता दें कि प्रतीतनगर ग्राम पंचायत ने गांव के शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार देने के उददेश्य से प्रस्ताव तैयार किया था। जिसमें लाॅटरी के माध्यम से इच्छिुक दुकानदारों को दुकानों का आवंटन भी किया जाना था। लेकिन पिछले कई महीनों से दुकानों का निर्माण और बिना लाॅटरी के ही उनका आवंटन कर देने को लेकर विवाद चल रहा था। वहीं शिकायतकर्ता पूर्व उप प्रधान नंद किशोर ने बताया कि उन्होने मामले की जांच के लिए उच्चाधिकारियों ज्ञापन प्रषित किया था। लेकिन उनसे जांच रिपोर्ट आज तक छिपायी गयी थी। शिकायकर्ता के अनुसार मामले की जांच 2017 में हो चुकी थी मगर रिपोर्ट की काफी 16 मई 2019 को प्राप्त हुई। इतने दिनों तक जांच रिपोर्ट छिपाने के पीछे अधिकारियों की क्या मंशा रही होगी कहा नही जा सकता है। 

क्या कहती है परियोजना निदेशक की जांच रिपोर्ट 

परियोजना निदेशक राजेंद्र रावत की जांच रिपोर्ट मंे यह बात सामने आयी है कि ग्राम पंचायत द्वारा प्रभावितों की संख्या 31 बतायी गयी थी जबकि पंचायत ने धनराशि जमा करने के लिए केवल 21 लोगों को ही नोटिस भेजा गया। रिपोर्ट के अनुसार 21 लोगों को चयन किस प्रकार किया गया इसका जवाब ग्राम प्रधान द्वारा नही दिया गया। जांच रिपोर्ट में यह बात भी सामने आयी है कि दुकानों का निर्माण 14वें वित्त से कराया जा रहा है जबकि दुकानों का निर्माण लाॅटरी के बाद होने वाले आवंटन की धनराशि से किया जाना चाहिए था और उनका आवंटन सक्षम अधिकारी की उपस्थिति में नियमानुसार किया जाना था जबकि ऐसा नही हुआ है। 

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